गुरुवार, 23 जुलाई 2009
गोत्रीय विवाह को मंजूरी या फिर सनातन धर्म पर प्रहार
खबर मिली की हरियाणा में एक ही गोत्र के प्रेमियों ने शादी रचली ; कोर्ट के आदेश से लड़का अपनी दुल्हन (जो समान गोत्र की हो ने से भाई बहनहुए )को लेने उस के गांव पुलिस सहित पहुच गया क्रोधित गांव वालों ने लडके सहित पुलिस को भी पीटा जिसमें लडके की मोत् होगयी लडके की मोत् ने एक बार फिर सभी दिल वालों को ज्क्झोड़ दिया दिल कांप उठा ,हे भगवान सनातन धर्म दो प्रेम करने वालों को ऐसी सजा देगा ?सोचा भी नही जा सकता परन्तु पश्न तो खडे हो ही गये ? सजातीय गोत्र में विवाह होना की भूल या गलती की इतनी बडी सजा ?क्या इस का यही प्रायश्चित कर्म बनता था ?या पंचायत का फेसला ही तालिबानी था ?क्या पंचायत दोनों को अलग करआजीवन अविवाहित का जीवन व्यतीत करने और हर रक्षा बंधन को एक दुसरे को राखी बाँधनेका हुक्म नही दे सकती थी ?इस से तो जो लोग सनातन धर्म के नियमों की अनदेखी करदेते हें कुछ सबक सिख लेते सर्व धर्म स्म भाव कहने वालीं सरकारें न्यायेयाले ऐसे न्याए कभी न करती जो सनातन धर्म की प्रतिष्ठा को चोट पहुचाते गे का फेसला भी आजादी का न हो कर इस बात को ध्यान में रख कर किया जाता की ऐसे गे लोगों को कोण सी सजा दी जावे जिन्हों ने स्नात्निष्ट रीती रिवाज से पतिपत्नी के सही रूप को बिगाडा नही हे पीर भी वो गे हें क्या कभी किसी न्याये धीश में ऐसी हिमत आ सकती हे की न्याये की कुर्सी पर बेठ कर पति - पत्नी के सदियों पुराने स्वरूप को बिगाड़ने की आज्ञा दे सनातन धर्म को तालिबानी ढंग से दबाने की चली आरही साजिशों का एक छोटा सा हिसा मात्र हे सनातन धर्म की जड़ जड़ को खोखला करने की साजिशों को भारत सरकार द्वारा संरक्ष्ण प्राप्त हे ?यही सनातन सत्य हे क्यों की गुर भाई गुर बहनों को पति-पत्नी के रूप में रह कर बचे पैदा करते देखा जा सकता हे भारत में बना सभी धर्मों के साथ न्याये हो का कानून ही सनातन धर्म के साथ न्याये नही कर रहा जो नये नये धर्म बन रहे हें उनके प्रति लगाव जो पुराना हे उसे क्यों दिया जावे उखाड?क्या यही न्याये हे ? क्यों भूल गये की नया दो दिन पुराना सो दिन
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