तुम्हारी जोड़ी सलामत रहे ,मेरी दुआ सदा साथ रहे , में न्याय की देवी ,सम्मान भारत में मेरा सनातन धर्म चाहे कुछ भी कहे वर -वधु का अंतर मिटा दुगी भाई बहनों के आपस में ब्याह रचा दुगी जो मेरे आड़े आएगा जेल में वो जाये गा तू मत डरसनातन के विरुद्ध जो कहे गा ,वही भारत का कानून बन जाए गा
शुक्रवार, 24 जुलाई 2009
गुरुवार, 23 जुलाई 2009
सनातन का अर्थ परिवर्तन भी हो सकता हे?
वेसे तो सनातन का अर्थ ही यही हे की जो जेसा हे जितना हे उतना और वेसा ही रहे दुसरे भाव में कहा जासकता हे की जो सच हे वही सनातन हे सच को किसी का अभाव नही होता ,झूठ का कोई एक पांव नही होता झूठ को सच साबित करना टेड़ी खीर के समान हो ता हे परन्तु सच को किसी परिवर्तन की आवश्यकता ही नही होती जेसे सूर्य प्रति दिन उदय होता हे असत्य हे बदल कभी कभी बेचारे को उदय ही नही होने देते सच तो यह हे की यदि सूर्य उदय ही न हो तो प्राणियों का जीवन -अस्तित्व खतरे में पड़ जाए गा अर्थात सूर्य उदय होता हे कहा जाता हे जो सच ही हे सत्य ही ईश्वर हे अर्थात ईश्वर ही सनातन हे और ईश्वर के द्वारा रचे गये धर्म नियम सनातन धर्म के सचे नियम हें शास्त्रीय -लोकिक शुभ की इछा करने वालों को इन दोनों का ही पालन करना चाहिए इनमेसे किसी का भी त्याग उचित नही होगा ग्राम धर्म-जाती धर्म-देश धर्म-कुल धर्म -सब का आदर करना चाहिए इस में किसी भी धर्म का उलंघन करना अनुचित हे क्यों की दुराचारी दुनिया में निंदा का पात्र होता हे उसे तो कष्ट भोगने ही होते हें मुसीबत उसका साथ नही छोड़ती ///\जो धर्म अर्थ कामसे हीन हों और धर्म भी लोक से विरुद्ध हो तो वह भी सुख करी नही हो सकता दुनिया में कई पवित्र शास्त्र हें किस के आधार पर निश्चय किया जावे ?धर्म मार्ग के निर्णय करने वाले कितने प्रमाण हें? जेसे वेदों का नेत्र ज्योतिष को मन जाता हे उसी प्रकार श्रुति -और -स्मृति ये दो नेत्र -पुराणको हृदय कहा गया हे इन तीनों कई वाणी ही धर्म हे एनी किसी कई नही यदि तीनो में पर्स पर भेद हो तो श्रुति के वचन प्रमाण होंगे यदि श्रुति और स्मृति दोनों में ही विरोध हो टीबी स्मृति को उतम माना jana चाहिए अब यदि श्रुति ही दोनों बैटन का स्म्र्त्न करती हो तभी उन दोनों को ही धर्म मनलेना चाहिए जब स्मृति में दो प्रकार के वचन मिलें तब उस विषय में अलग-अलग कल्पना कर लेनी चाहिए दूसरा सिधांत यह हे कई जिसे ऋषि गणधर्म कहते हें उसी को धर्म रूप से ग्रहण कर लिया जावे .........................................................?
गोत्रीय विवाह को मंजूरी या फिर सनातन धर्म पर प्रहार
खबर मिली की हरियाणा में एक ही गोत्र के प्रेमियों ने शादी रचली ; कोर्ट के आदेश से लड़का अपनी दुल्हन (जो समान गोत्र की हो ने से भाई बहनहुए )को लेने उस के गांव पुलिस सहित पहुच गया क्रोधित गांव वालों ने लडके सहित पुलिस को भी पीटा जिसमें लडके की मोत् होगयी लडके की मोत् ने एक बार फिर सभी दिल वालों को ज्क्झोड़ दिया दिल कांप उठा ,हे भगवान सनातन धर्म दो प्रेम करने वालों को ऐसी सजा देगा ?सोचा भी नही जा सकता परन्तु पश्न तो खडे हो ही गये ? सजातीय गोत्र में विवाह होना की भूल या गलती की इतनी बडी सजा ?क्या इस का यही प्रायश्चित कर्म बनता था ?या पंचायत का फेसला ही तालिबानी था ?क्या पंचायत दोनों को अलग करआजीवन अविवाहित का जीवन व्यतीत करने और हर रक्षा बंधन को एक दुसरे को राखी बाँधनेका हुक्म नही दे सकती थी ?इस से तो जो लोग सनातन धर्म के नियमों की अनदेखी करदेते हें कुछ सबक सिख लेते सर्व धर्म स्म भाव कहने वालीं सरकारें न्यायेयाले ऐसे न्याए कभी न करती जो सनातन धर्म की प्रतिष्ठा को चोट पहुचाते गे का फेसला भी आजादी का न हो कर इस बात को ध्यान में रख कर किया जाता की ऐसे गे लोगों को कोण सी सजा दी जावे जिन्हों ने स्नात्निष्ट रीती रिवाज से पतिपत्नी के सही रूप को बिगाडा नही हे पीर भी वो गे हें क्या कभी किसी न्याये धीश में ऐसी हिमत आ सकती हे की न्याये की कुर्सी पर बेठ कर पति - पत्नी के सदियों पुराने स्वरूप को बिगाड़ने की आज्ञा दे सनातन धर्म को तालिबानी ढंग से दबाने की चली आरही साजिशों का एक छोटा सा हिसा मात्र हे सनातन धर्म की जड़ जड़ को खोखला करने की साजिशों को भारत सरकार द्वारा संरक्ष्ण प्राप्त हे ?यही सनातन सत्य हे क्यों की गुर भाई गुर बहनों को पति-पत्नी के रूप में रह कर बचे पैदा करते देखा जा सकता हे भारत में बना सभी धर्मों के साथ न्याये हो का कानून ही सनातन धर्म के साथ न्याये नही कर रहा जो नये नये धर्म बन रहे हें उनके प्रति लगाव जो पुराना हे उसे क्यों दिया जावे उखाड?क्या यही न्याये हे ? क्यों भूल गये की नया दो दिन पुराना सो दिन
मंगलवार, 21 जुलाई 2009
पोंगा पंडित
पोंगे पंडित उल्टा सीधा बोल रहे हें ....................... । डर के दरवाजे जनता पे खोल रहे हें ....... उनकी बातें किसी का कब कल्याण करेंगी ... । अपने पैसों की जो तकड़ी तोल रहे हें ... । उन कमजोर दिलों पे इन का जोर चले हे ॥ । जिन के मन अंदर ही अंदर डोळ रहे हे .... । ज्योतिष विद्या अपने आप में गलत नही .... । गलत तो वो हें जो इस में विष् घोल रहे हें ... । कुदरत के इस खेल को उपर वाला ही जाने ... । उसकी नजर में :अंजुम:हम अनमोल रहे हें
मंगलवार, 14 जुलाई 2009
मेरी मदद तो करो यारो क्या यह सच नही ?
चार वेद हर देश के हर व्यक्ति के कर्मों को किस प्रकार किया जाए बताते हें तथा पांचवां वेद जिस का कोई अस्तित्व नही हे परन्तु इन्ही चारों वेदों में यह हे इस को यदि देखा जावे तो हर धर्म जो सनातन धर्म से जुड़ाहुआ हे {जुदा नही हे }इसी पांचवें वेद का अनुसरण करते हें जेसे हिंदू ,मुस्लिम,सिख,इसाई ,चारों धर्म आपस में छोटे बडे भाई हो कर भी एक ही समान होते हें क्या इन चारों धर्मों ने कभी किसी को चोरी करने /व्यभिचार करने /झूठ बोलने /इर्षा करने /एक दुसरे से राग द्वेष रखने /गरीब कमजोर पर अत्या चार करने की शक्षा दी हे क्या इनमे से कोई किसी को गुमराह करना ,बचों बूढों ओरतों निह्थों और बेसहारा अनाथो को तंग करने या मारने की आज्ञा देता हे ?क्या इन्हों ने कभी किसी मनुष्य जीव प्राणी की रक्षा मदद करने से रो का हे जरा आज अपने आप में झांकें की हम चारों धर्म कहाँखडे हें --क्या हम सनातन से जुड़े हें या जुदा हें जो जुदा हे वो सनातन का केसे हो सकता हे ?जो जुडा हे वही सनातन धर्म का अनुसरण करता हे ऐसा व्यक्तित्व तो एक ही नजर आता हे जो उपरोक्त चारों धर्मों में देखा जा सकता हे सभी उसे भगत संत या फकीर के रूप में जानते हें
सोमवार, 6 जुलाई 2009
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